श्री शनि चालीसा आरती सहित | शनि चालीसा आरती

हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। उनकी आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में संतुलन और न्याय की स्थापना होती है। शनि देव का दिन शनिवार होता है और इस दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

श्री शनि देव की आरती एक पवित्र भजन है, जिसे गाकर भक्त शनि देव की स्तुति करते हैं। इस आरती को गाने से मन में शांति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

|| श्री शनि चालीसा ||

दोहा

जय गनेश गिरिजा सुवन. मंगल करण कृपाल.

दीनन के दुःख दूर करि. कीजै नाथ निहाल ||
                     जय जय श्री शनिदेव प्रभु. सुनहु विनय महाराज |   
करहु कृपा हे रवि तनय. राखहु जन की लाज ||

चौपाई
जयति जयति शनिदेव दयाला. करत सदा भक्तन प्रतिपाला.
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै. माथे रतन मुकुट छवि छाजै.
परम विशाल मनोहर भाला. टेढ़ी दृश्टि भृकुटि विकराला.
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके. हिये माल मुक्तन मणि दमके.
कर में गदा त्रिशूल कूठारा. पल बिच करैं अरिहिं संसारा.
पिंगल, कृश्णों, छाया, नन्दन. यम कोणस्थ, रौद्र, दुःखभंजन.
सौरी, मन्द, शनि, दशनामा. भानु पुत्र पूजहिं सब कामा.
जापर प्रभु प्रसन्न हो जाहीं. रंकहुं राव करै क्षण माहीं.
पर्वतहु तृण होई निहारत. तृणहु को पर्वत करि डारत.
राज मिलत बन रामहिं दीन्हा. कैकेइहुँ की मति  हरि लीन्हा.
बनहूँ में मृग कपट दिखाई. मातु जानकी गई चुराई.
लक्षमन विकल शक्ति के मारे. रामा दल चनंतित बहे सारे
रावण की मति गई बौराई. रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई.
दियो छारि करि कंचन लंका. बाजो बजरंग वीर की डंका.

नृप विकृम पर दशा जो आई. चित्र मयूर हार सो ठाई.
हार नौलख की लाग्यो चोरी. हाथ पैर डरवायो तोरी.
अतिनिन्दा मय बिता जीवन. तेलिहि सेवा लायो निरपटन.
विनय राग दीपक महँ कीन्हो. तव प्रसन्न प्रभु सुख दीन्हो.
हरिश्चन्द्र नृप नारी बिकाई. राजा भरे डोम घर पानी.
वक्र दृश्टि जब नल पर आई. भूंजी- मीन जल बैठी दाई.
श्री शंकर के गृह जब जाई. जग जननि को भसम कराई.
तनिक विलोकत करि कुछ रीसा. नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा.
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी. अपमानित भई द्रौपदी नारी.
कौरव कुल की गति मति हारि. युद्ध महाभारत भयो भारी.
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला. कुदि परयो ससा पाताला.
शेश देव तब विनती किन्ही. मुख बाहर रवि को कर दीन्ही.
वाहन प्रभु के सात सुजाना. जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना.
कौरव कुल की गति मति हारि. युद्ध महाभारत भयो भारी.
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला. कुदि परयो ससा पाताला.
शेश देव तब विनती किन्ही. मुख बाहर रवि को कर दीन्ही.
वाहन प्रभु के सात सुजाना. जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना.
जम्बुक सिंह आदि नख धारी सो फ़ल जयोतिश कहत पुकारी.
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवै.हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं.
गदर्भ हानि करै बहु काजा. सिंह सिद्ध कर राज समाजा.
जम्बुक बुद्धि नश्ट कर डारै . मृग दे कश्ट प्राण संहारै.
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी. चोरी आदि होय डर भारी.
तैसहि चारि चरण यह नामा. स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा.
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं. धन जन सम्पति नश्ट करावै.
समता ताम्र रजत शुभकारी. स्वर्ण सदा सुख मंगल कारी.
जो यह शनि चरित्र नित गावै. दशा निकृश्ट न कबहुं सतावै.
नाथ दिखावै अदभुत लीला. निबल करे जय है बल शिला.
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई. विधिवत शनि ग्रह शांति कराई.
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत. दीप दान दै बहु सुख पावत.
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा. शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा.


दोहा
पाठ शनिचर देव को, कीन्हों विमल तैयार.
करत पाठ चालीसा दिन, हो दुख सागर पार.

आरती: श्री शनिदेव

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

आरती: श्री शनिदेव
आरती: श्री शनिदेव

उपसंहार

श्री शनि देव की आरती एवं चालीसा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। यह आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि एक मार्गदर्शन है, जो हमें न्याय, धैर्य और साहस का पाठ सिखाता है। शनि देव की कृपा से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है और व्यक्ति को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

हर शनिवार को शनि देव की आरती करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं।

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