श्री सत्यनारायण जी की आरती

श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा हिंदू धर्म में अत्यंत लोकप्रिय है। उनकी कृपा पाने के लिए भक्तजन विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं, जिनमें से एक है श्री सत्यनारायण जी की आरती।

यह आरती न केवल भगवान की स्तुति का एक माध्यम है बल्कि भक्तों के मन को शांत करने और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरने का भी एक साधन है। इस ब्लॉग में हम श्री सत्यनारायण जी की आरती के महत्व, इसके विभिन्न रूपों और इसके गायन के लाभों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

श्री सत्यनारायण भगवान का महत्व

श्री सत्यनारायण भगवान को सत्य का स्वरूप माना जाता है। वे भगवान विष्णु के अवतार हैं और सभी दुखों को दूर करने वाले माने जाते हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्री सत्यनारायण जी की आरती का महत्व

श्री सत्यनारायण जी की आरती भक्तों और भगवान के बीच एक अटूट बंधन स्थापित करती है। आरती के माध्यम से भक्त अपने मन की भावनाओं को भगवान के सामने व्यक्त करते हैं और उनकी कृपा की याचना करते हैं। आरती के गायन से वातावरण पवित्र होता है और भक्तों के मन में शांति और उल्लास का अनुभव होता है।

श्री सत्यनारायण जी की आरती

जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।
सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे ।
नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

प्रकट भए कलि कारण, द्विज को दरस दियो ।
बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।
चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी बिपति हरी ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्हीं ।
सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्‌यो ।
श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी ।
मनवांछित फल दीन्हों, दीन दयालु हरि ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा ।
धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे ।
तन-मन-सुख-संपति मनवांछित फल पावै ॥
जय लक्ष्मी रमणा…

॥ इति श्री सत्यनारायण जी आरती संपूर्णम् ॥

Shri Satyanarayan Ji Aarti In English

Jai Lakshmi Ramana, Swami Jai Lakshmi Ramana.
Satyanarayan Swami, Jan-Paatak-Harana.
Jai Lakshmi Ramana…

Ratn Jadit Sinhaasan, Adbhut Chhavi Raaje.
Naarad Karat Neeraajan, Ghanta Van Baaje.
Jai Lakshmi Ramana…

Prakat Bhi Kali Kaaran, Dvij Ko Daras Diyo.
Boodho Brahman Bankar, Kanchan Mahal Kiyo.
Jai Lakshmi Ramana…

Durbal Bheel Kathaaro, Jin Par Kripa Karee.
Chandrachood Ek Raaja, Tinakee Bipati Haree.
Jai Lakshmi Ramana…

Vaishya Manorath Paayo, Shraddha Taj Deenheen.
So Phal Bhogyo Prabhujee, Phir Stuti Kinheen.
Jai Lakshmi Ramana…

Bhaav-Bhakti Ke Kaaran, Chhin-Chhin Roop Dharyo.
Shradha Dhaaran Kinhee, Tinko Kaaj Saro.
Jai Lakshmi Ramana…

Gvaal-Baal Sang Raaja, Ban Mein Bhakti Karee.
Mannvaanchhit Phal Deenhon, Deen Dayaalu Hari.
Jai Lakshmi Ramana…

Chadhat Prasaad Savaayo, Kadlee Phal Meva.
Dhoop-Deep-Tulsi Se, Raaji Satyadeva.
Jai Lakshmi Ramana…

Satyanarayanaji ki Aarti Jo Koi Nar Gaave.
Tan-Man-Sukh-Sampati Mannvaanchhit Phal Paavai .
Jai Lakshmi Ramana…

!! Iti Shri Satyanarayan Ji Aarti !!

श्री सत्यनारायण जी की आरती के विभिन्न रूप

श्री सत्यनारायण जी की आरती के कई रूप हैं। विभिन्न क्षेत्रों और संप्रदायों में इस आरती को अलग-अलग तरीके से गाया जाता है। कुछ प्रसिद्ध रूप निम्नलिखित हैं:

  • मूल आरती: यह आरती सबसे अधिक लोकप्रिय है और इसे सभी जगह गाया जाता है। इसमें भगवान के गुणों और कृपा का वर्णन किया जाता है।
  • चौपाई: यह आरती चौपाइयों के रूप में लिखी जाती है और इसमें भगवान के विभिन्न नामों और रूपों का वर्णन किया जाता है।
  • दोहे: यह आरती दोहों के रूप में लिखी जाती है और इसमें भगवान के प्रति भक्ति भाव व्यक्त किया जाता है।

श्री सत्यनारायण जी की आरती के गायन के लाभ

श्री सत्यनारायण जी की आरती के गायन से कई लाभ होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मन की शांति: आरती के गायन से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: आरती के नियमित गायन से आध्यात्मिक उन्नति होती है और भगवान के प्रति प्रेम बढ़ता है।
  • सुख-समृद्धि: आरती के गायन से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
  • रोग मुक्ति: आरती के गायन से रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
  • मनोकामना पूर्ण: आरती के गायन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है।

श्री सत्यनारायण जी की आरती का गायन कैसे करे

श्री सत्यनारायण जी की आरती का गायन बहुत ही सरल है। आप इसे घर पर या मंदिर में बैठकर गा सकते हैं। आरती गाते समय आपको भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति भाव रखना चाहिए। आप आरती के साथ दीपक जला सकते हैं और फूल चढ़ा सकते है।

श्री सत्यनारायण भगवान का अवतार

श्री सत्यनारायण भगवान भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। उन्हें सत्य का स्वरूप कहा जाता है और उनकी पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

श्री सत्यनारायण जी की आरती का आध्यात्मिक महत्त्व

श्री सत्यनारायण भगवान को भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप माना जाता है, जिन्हें सत्य और न्याय का प्रतीक कहा जाता है। “सत्य” का अर्थ होता है सत्य, और “नारायण” का अर्थ होता है ईश्वर।

इस प्रकार, सत्यनारायण की पूजा और आरती का सीधा तात्पर्य है कि हम सत्य के मार्ग पर चलें और भगवान नारायण की शरण में जाएँ। इस आरती के माध्यम से व्यक्ति को जीवन में सद्गुणों को अपनाने, सच्चाई का पालन करने और निष्ठा के साथ अपने कर्मों को पूरा करने की प्रेरणा मिलती है।

सत्यनारायण व्रत और पूजा का महत्त्व

सत्यनारायण व्रत और पूजा का हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में विशेष महत्त्व बताया गया है। यह पूजा मुख्यतः पूर्णिमा के दिन की जाती है, लेकिन किसी भी शुभ अवसर जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या किसी अन्य मांगलिक कार्य में भी इसे किया जा सकता है। इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से सत्यनारायण भगवान की पूजा और आरती करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और उसे परम शांति की प्राप्ति होती है।

आरती का प्रारंभिक महत्त्व

आरती, किसी भी पूजा का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। यह आरती उस ईश्वर की महिमा और उसके अनंत गुणों का गुणगान है, जिनकी पूजा हम कर रहे होते हैं। सत्यनारायण जी की आरती करने से पहले, भक्तजन सत्यनारायण की कथा का पाठ करते हैं, जो पाँच अध्यायों में विभाजित होती है।

कथा में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की महिमा और उनकी कृपा से भक्तों की समस्याओं का समाधान होने का वर्णन किया गया है। जब कथा समाप्त हो जाती है, तो आरती के रूप में भगवान की स्तुति की जाती है।

आरती का सही समय और विधि

सत्यनारायण जी की आरती का विशेष समय पूजा के अंत में होता है। जब भक्तजन सत्यनारायण की पूजा और कथा पूर्ण कर लेते हैं, तब वे आरती करते हैं। इसके लिए शुद्ध घी का दीपक जलाया जाता है और भगवान के समक्ष रखा जाता है। आरती के समय घंटियों और शंखनाद का उपयोग किया जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और वातावरण को पवित्र बनाता है।

आरती करते समय पूरे परिवार या समूह को एक साथ होना चाहिए, ताकि सभी मिलकर भगवान की स्तुति करें। आरती के बाद भगवान को प्रसाद अर्पित किया जाता है और वह प्रसाद सभी भक्तों में वितरित किया जाता है। सत्यनारायण जी की आरती के बाद प्रसाद का वितरण करना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है।

आरती के लाभ

श्री सत्यनारायण जी की आरती के अनेक लाभ हैं, जो न केवल भक्तों के आध्यात्मिक जीवन में बल्कि उनके भौतिक जीवन में भी प्रभाव डालते हैं। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:

  1. धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: सत्यनारायण जी की आरती करने से व्यक्ति की आत्मा पवित्र होती है और उसे आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।
  2. कष्टों का निवारण: ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक सत्यनारायण जी की आरती करता है, उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
  3. सुख-समृद्धि: सत्यनारायण जी की आरती करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। आरती के बाद घर का वातावरण शुद्ध और सकारात्मक हो जाता है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: आरती के दौरान जो ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं, वे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
  5. ईश्वर की कृपा: भक्तों का यह मानना है कि सत्यनारायण जी की आरती करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
श्री सत्यनारायण जी की आरती
श्री सत्यनारायण जी की आरती

श्री सत्यनारायण जी की आरती के बाद का प्रसाद

प्रसाद का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है, और यह ईश्वर का आशीर्वाद माना जाता है। आरती के बाद भगवान को प्रसाद के रूप में पंचामृत, हलवा, फल, या किसी अन्य मिठाई का भोग लगाया जाता है। आरती के बाद यह प्रसाद भक्तों में बाँटा जाता है, जिसे ग्रहण करने से भक्तों को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

श्री सत्यनारायण जी की आरती एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक अनुष्ठान है, जो हमें जीवन में सत्य, धर्म और न्याय का पालन करने की प्रेरणा देता है। सत्यनारायण भगवान की पूजा और आरती करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और संतोष का वास होता है। यह आरती न केवल हमारे भौतिक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है, बल्कि हमारे आध्यात्मिक विकास में भी सहायक होती है।

इसलिए, हर भक्त को श्रद्धापूर्वक और सच्चे मन से श्री सत्यनारायण जी की आरती करनी चाहिए और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।

यह ब्लॉग केवल सूचना के उद्देश्य से है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले किसी विद्वान से सलाह लेना उचित होगा।

श्री सत्यनारायण जी की आरती के गायन के माध्यम से आप भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

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